” अबे ! सुनो हम जा रहे हैं, तुम अपना ख्याल रखना। bye “


कल रात हवाएं बहुत तेज़ चल रही थी, बैचेन थीं शायद। हवाओं की बैचेनी से झलक रहा था, जैसे किसी बात को कहने की बहुत जल्दी हो। मौसम भी अचानक ही बदल गया था, मैं नर्मदा तट से लौट रहा था, तभी जेब में रखा मोबाइल बजा। मेरे मित्र अंसारी जी का कॉल था,कहने लगे कि गाड़ी किनारे लगाओ पहले, मैंने वैसा ही किया। उसके बाद जो उन्होंने कहा उस पर मैं कोई प्रतिक्रिया नही दे पाया। क्योंकि उसे वक्त मेरी एक मित्र गाड़ी पर मेरे पीछे बैठी हुई थी। उसके जन्मदिन पर बस दीपदान करके ही लौट रहे थे। थोड़ी दूरी पर मेरा एक और मित्र मिल गया और अगले एक घंटे में मेरी मित्र का जन्मदिन मनाया जा चुका था और उस एक घंटे में मेरे पास ऐसा कितने ही फ़ोन काल्स आ चुके थे, जिन पर मैं कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा था। पहली बार बहुत अक्षम सा महसूस हो रहा था। कुछ देर बाद अपने दोनों मित्रों को छोड़ने बाहर आया, आसमान में देखा तो लाल बादल छाये हुए थे, जैसे ताज़ा खून अभी किसी ने आसमान में बिखेर दिया हो। हवाएं और तेज़ हो चली थीं, जैसे किसी बात को कहने के बाद बेचैनी और बढ़ जाती है ठीक वैसे ही हवाएं और बेचैन हो उठी थीं। मैं ऊपर अपने मित्र के फ्लैट में पहुँचा, थक के बैठक के बिछौने में ही बिखर गया। हवाएं बहुत तेज़ हो चुकी थीं, ऐसा लग रहा था, जैसे खिड़की-दरवाज़े तोड़कर घर में दाखिल होना चाहती हो। अब भी किसी बात की बैचेनी हवाओं की सरसराहट में महसूस कर सकता था मैं। कुछ देर बाद मेरी मित्र ने मेरे चहरे पर आते-जाते हुए भावों को देखकर जानना चाहा की मुझे क्या हुआ है? मैं तो सही सलामत था, लेकिन मेरा अभिन्न मित्र, विकास परिहार अब इस दुनिया में नहीं है। भोपाल में थोड़ी देर पहले शाम को उसकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई। ये वही व्यक्ति है जो अपनी स्पष्टवादिता, साहित्यिक ज्ञान, मेहनत, लगन, लिखने की अद्भुत कला, अपनी अद्वितीय हिन्दी ब्लॉग्स, बड़े भाई के लिए किए गए अपने सपनों के त्याग(जिसे सिर्फ़ मैं जानता हूँ), तीखी प्रतिक्रियाओं और न जाने कितनी ही विस्मयकारी प्रतिभाओं के लिए जाना जाता था। अपने परिवार, मित्र गण और जानने वालों के साथ-साथ साहित्य जगत को भी अपनी कमी से भर जाने वाला मेरा मित्र, अब सिर्फ़ इन्टरनेट के ब्लॉग्स, पत्रकारिता की उत्तरपुस्तिकाओं, रेडियो पर आने वाले अपने शो की पुरानी रिकॉर्डिंग (93.5 sfm jabalpur में DD यानि धर्मध्वज संकटमोचन नारायण प्रसाद सिंह पाण्डेय धरमवीर कुमार चक्रवर्ती शर्मा उर्फ़ DDSM NPSM DKCS नाम से पूरा पर आधा अधुरा कहने वाला रेडियो जौकी, तफरीह जंक्शन में मेरे साथ कभी शो किया करता था। ) , लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाले प्रतियोगियों की लिस्ट और सोशल नेट्वर्किंग साइट्स की प्रोफाइल्स में रह गया था। हम दोनों एक-दूसरे को पिछले चार साल से जानते थे, रेडियो में आने से पहले दोनों के बीच की understanding तो अच्छी थी लेकिन chemistry बिल्कुल नहीं थी, जिसकी दरकार रेडियो में थी। बहुत जल्द chemistry भी बन गई। रेडियो के श्रोता हम दोनों की शो में होने वाली नोक-झोंक को बहुत पसंद करते थे। मेरा दोस्त कहता था कि उसका राजयोग लिखा है, हम दोनों एक साथ ही नौकरी करते एक साथ ही छोड़ते। ज्यादातर लोग हम दोनों को नौकरी छोड़ने के लिए जाने जाते थे। उसके कहने पर ही रेडियो पर मैं आया, आज उसका अहसानमंद हूँ कि उसकी वजह से शहर के लाखों लोग मुझे जानने लगे हैं। पर जब भी मैं उसे यही अहसान वाली बात कहता तो चिड कर कहता, तुम अपनी प्रतिभा की वजह से यहाँ हो। खैर, प्रतिभा की बात ठीक है लेकिन अगर उसने मुझे इंटरव्यू की सूचना नहीं दी होती तो मैं अभी किसी अखबार की नौकरी बजा रहा होता। रेडियो की जॉब भी उसने शायद ही पूरे एक साल की होगी, नौकरी छोड़ कर वो लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करने लगा था, पहली परीक्षा तो उसने बिना कोचिंग के निकाल चुका था, मुख्य परीक्षा के लिए कोचिंग करने भोपाल में कुछ दिनों से था। नर्मदा से लौटते हुए अपनी मित्र से बस उसकी ही बात कर रहा था, कि मेरे पास अंसारी जी का फ़ोन कॉल आ गया……. कल रात जब कोई आहट होती तो ऐसा लगता कि “विकास” आकर कहने वाला हो – ” अबे ! सुनो हम जा रहे हैं, तुम अपना ख्याल रखना। bye “

विकास उर्फ़ Rj DD तफरीह जंक्शन शो में

विकास उर्फ़ Rj DD तफरीह जंक्शन शो के दौरान मेरी चोटी (शिखा) को खीचते हुए। मस्त टाइम था वो।

विकास परिहार के कुछ ब्लॉग्स
http://ishamammain.blogspot.com/
http://swasamvad.blogspot.com/

विकास परिहार के सोशल नेट्वर्किंग प्रोफइल्स
www.orkut.co.in/Main#Profile.aspx?origin=is&uid=10674325345367446864

www.orkut.co.in/Main#Profile.aspx?uid=11084617886346061862

www.facebook.com/profile.php?id=627361693&ref=ts

विकास परिहार की एक रचना :
Tuesday, October 23, 2007

ऐ मौत मुझे ले चल

दिल में उथल-पुथल है,
मन में मची है हलचल।
ऐ मौत मुझे ले, ऐ मौत मुझे ले चल।

स्वस्म्वाद से…

विकास परिहार दाहिने से दूसरा (खड़े हुए)

श्रद्धांजलि …….

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12 thoughts on “” अबे ! सुनो हम जा रहे हैं, तुम अपना ख्याल रखना। bye “”

  1. चक्रेश भाई
    सच विकास के जाने जो क्षति हुई उसे जबलपुर कदापि नहीं भूल पाएगा
    मेरा छोटा भाई सा अचानक मेरे पास आ बैठा खूब साहित्यिक बात चीत
    हुई, ब्लॉग एस ऍफ़ एम् जाने कितने विषय स्पर्श किए थे हम दौनों ने
    इस दौरान विकास में मैं एक मिश्रित सोच बांच रहा था. विकास के सामने मैंने
    विचार धाराओं एवं उन्हैं वाहकों के / पोषकों के "कथ्य और कृत्य "में अंतर को
    उदाहरण सहित जब रेखित किया तो विस्मित भाव था उनके चेहरे पर . विकास
    वो किताब थे जिसे मैंने बांचना ही शुरू किया था . अब बस और नहीं लिख पा रहा हूँ
    चक्रेश भाई आज इतना ही जी चाहता है उसे फिर देख सुन पाऊं ….?
    पर ये संभव नहीं है …………… सब जानतें है
    श्रद्धांजलि श्रद्धांजलि श्रद्धांजलि श्रद्धांजलि

    प्रतिक्रिया
  2. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    प्रतिक्रिया
  3. i didn't knew him personally but jabse sfm jabalpur join kiya tabse bahut suna vikas ke baare mein tumse baaki colleagues se aur aisa hota hai na jab aap kisi ke baare mein roz kuch na kuch sune toh us bhi apno mein se ek samajhne lagte hain vikas ke saath mera ek aisa hi rishta tha..aur ab apne har birthday pe sabse pahle mujhe vikas ki yaad hi aayega..aur agar tumhe yaad ho toh jab humne deep-daan kiya tha toh diya kinare se aage ja hi nahi raha tha infact maine tumhe kaha bhi tha magar tumne kaha ke koi baat nahi chala jayega tab ek bahut ajeeb si feeling thi dil mein aur ab soch rhai hun us baare mein ek khayal dil mein aaraha hai jo main yahan nahi likhungi jab hum milenge tab tumhe kahungi..and i know that nobody will ever be able to fill his place in your life..but i would just say one thing that banda dil ka raja tha apni life apne tareeke se ji magar phir bhi apno ke liye hi ji..a gem of person is no more amongst us but he'll always be there with us mentally because of his good work & memories that he has given us..may his soul rest in peace..with all due respect to your feelings…

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  4. डिअर भैया. उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती.
    वो मुझसे अक्सर कहा करते इन लाइंस का ज़िक्र किया करते थे :
    " 'तू' पत्थर की ऐंठ है,
    'मैं' पानी की लोच
    तेरी अपनीं सोच है,
    मेरी अपनी सोच!! "

    श्रद्धासुमन!

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